आज जलझूलनी एकादशी : भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास करने के साथ ही तुलसी पूजन भी जरूर करें, सूर्य पूजा से करें दिन की शुरुआत
मंगलवार, 6 सितंबर को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। ये व्रत भगवान विष्णु के लिए किया जाता है। इस तिथि पर सुबह स्नान के बाद तुलसी को जल चढ़ाएं और शाम को तुलसी के पास दीपक जरूर जलाएं।इस दिन एकादशी, मंगलवार, गणेश उत्सव का योग है। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की 11वीं तिथि को परिवर्तिनी, जलझूलनी और गोल ग्यारस कहते हैं।
अभी भगवान विष्णु के विश्राम का समय चल रहा है और परिवर्तिनी एकादशी पर विष्णु जी करवट बदलते हैं, ऐसी मान्यता है। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य अध्याय में सालभर की सभी एकादशियों के बारे में बताया गया है। एकादशी व्रत करने से विष्णु जी की कृपा मिलती है और भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं।
ऐसे कर सकते हैं एकादशी व्रत
- जो लोग एकादशी व्रत करना चाहते हैं, उन्हें सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और इसके बाद सूर्य पूजा करते हुए दिन की शुरुआत करनी चाहिए। तांबे के लोटे में जल भरें और ऊँ सूर्याय नम: बोलते हुए सूर्य को चढ़ाएं।
- घर के मंदिर में विष्णु जी और देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें। इसके लिए केसर मिश्रित दूध दक्षिणावर्ती शंख में भरें और भगवान को अर्पित करें। इसके बाद शुद्ध जल चढ़ाएं। भगवान को वस्त्र अर्पित करें।
- विष्णु जी और लक्ष्मी का फूलों से श्रृंगार करें। कुमकुम, चंदन, इत्र आदि चीजें चढ़ाएं। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं। आरती करें। भगवान के सामने एकादशी व्रत करने का संकल्प लें।
- दिनभर अनाज न खाएं। फलाहार और दूध लिया जा सकता है। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें। विष्णु जी और लक्ष्मी जी की भी पूजा करें।
- अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर विष्णु जी की फिर से पूजा करें। पूजा के बाद जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं और फिर खुद भोजन करें। इस तरह एकादशी का व्रत किया जा सकता है।
मंगलवार को कर सकते हैं ये शुभ काम भी
- मंगलवार को हनुमान जी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप चाहें तो हनुमान जी के मंत्र ऊँ रामदूताय नम: का जप भी कर सकते हैं। अगर आपके पास पर्याप्त समय हो तो सुंदरकांड का पाठ कर सकते हैं।
- मंगलवार को मंगल देव की पूजा करें। मंगल की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। शिवलिंग पर लाल गुलाल, लाल फूल, मसूर की दाल चढ़ाएं। ऊँ भौमाय नम: मंत्र का जप करें।
- इस दिन किसी गौशाला में धन और हरी घास का दान जरूर करें। गायों की सेवा करें, उनकी देखभाल की व्यवस्था करें।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, बिल्व पत्र अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
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