सिकल सेल की स्क्रीनिंग एवं जागरूकता के लिए विधायक-कलेक्टर की उपस्थिति में जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित

 

गरियाबंद।  विश्व सिकल सेल दिवस पर राजिम विधायक रोहित साहू और कलेक्टर दीपक कुमार अग्रवाल की उपस्थिति में आज वन विभाग के ऑक्सन हॉल में विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर सिकल सेल की स्क्रीनिंग एवं जागरूकता हेतु जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका आयोजन जिला स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास और आदिवासी विकास विभाग द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

कार्यक्रम में विधायक रोहित साहू ने कहा कि सिकल सेल रोग के लक्षण, जांच एवं उपचार के लिए भारत सरकार के निर्देशानुसार देश के 17 राज्यों सहित 340 जिलों में एक साथ सिकल सेल दिवस मनाया जा रहा है। यह कार्यक्रम में भारत के सभी नागरिकों के स्वास्थ्य के हित को ध्यान में रखते हुए एवं स्वस्थ राष्ट्र की कल्पना को पूरा करने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सिकल सेल बीमारी अनुवांशिक होती है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग एवं महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम सिकल सेल वाले परिवारों की पहचान कर उन्हें जागरूक कर चिकित्सालय में जांच एवं उपचार के लिए प्रेरित करे। सरकार सभी वर्गो के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने नागरिकों से कहा कि सिकल सेल के रोग के लक्षण होने की स्थिति में नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में निःशुल्क जांच कराकर उपचार कराये।

विश्व सिकल सेल दिवस पर कलेक्टर दीपक कुमार अग्रवाल ने कहा कि सिकल सेल की जांच एवं उपचार जिले के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में निःशुल्क किया जा रहा है। इसके अलावा सभी पंचायतों में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि हीमोग्लोबिन हमारे शरीर में सभी कोशिकाओं तक पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है लेकिन सिकल रोग में यह काम बाधित हो जाता है। यह एक अनुवांशिक रोग है।

इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग द्वारा जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2023 से 2026 तक 0 से 40 वर्ष आयु वर्ग के सभी व्यक्तियों की स्क्रीनिंग की जा रही है। साथ ही स्क्रीनिंग किये गये सभी व्यक्तियों को सिकलसेल जेनेटिक कार्ड प्रदाय किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि   सिकल सेल खानपान, छुआछूत या अन्य तरह की होने वाली कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक जेनेटिक या वंशानुगत बिमारी है जो जीन में होने वाले परिवर्तन के कारण होते है। जो कि मरीज को उसके माता या पिता द्वारा उसे प्राप्त होता है। यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलने वाले इस रोग में गोलाकार लाल रक्त कण (हीमोग्लोबीन) अर्धचन्द्राकार सिकल या हंसियों के रुप में परिवर्तित होकर नुकीले और कड़े हो जाते है। जिससे ये रक्त कण शरीर की छोटी रक्त वाहिनी में फंसकर लिवर, तिल्ली, किडनी, मस्तिष्क आदि अंगो के रक्त प्रवाह को बाधित कर देते है। जिससे शरीर की कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंचता और मरीजों को अत्यधिक तेज बुखार और दर्द के साथ खून की कमी हो जाती है। इस बीमारी के  मुख्य लक्षणों में भूख न लगना, हल्का एवं दीर्घकालीन बुखार रहना, थकावट, त्वचा एवं आंखों में पीलापन (पीलिया), बार-बार पेशाब आना व मूत्र में गाढ़ापन, तिल्ली में सूजन, चिडचिडापन और व्यवहार में बदलाव, वजन और उँचाई सामान्य से कम, हाथ-पैरों में सूजन, सांस लेने में तकलीफ, हड्डियों और पसलियों में दर्द साथ ही खून की कमी से एनीमिया भी हो जाता है। इस प्रकार की समस्या होने से लोगों को नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर सिकलसेल की निःशुल्क जांच कराना चाहिए। विवाह से पूर्व महिला एवं पुरुष को सिकलसेल की जांच अवश्य कराना चाहिए। 

इस अवसर पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी रीता यादव, संयुक्त कलेक्टर नवीन भगत, नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष अब्दुल गफ्फार मेमन, जनपद अध्यक्ष लालिमा ठाकुर, जिला पंचायत सदस्य फिरतुराम कंवर, नगर पालिका उपाध्यक्ष  सुरेन्द्र सोनटेके, राजेश साहू, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गार्गी यदु पॉल, महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यक्रम अधिकारी अशोक पाण्डेय, स्थानीय जनप्रतिनिधिगण सहित अन्य जिला अधिकारी एवं बड़ी संख्या में आमजन मौजूद थे।

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