जनप्रतिनिधियों एवं मीडिया के प्रतिनिधियों को नये कानूनों के संबंध में दी जानकारी

सुकमा। कलेक्टर हरिस. एस एवं पुलिस अधीक्षक किरण गंगाराम चव्हाण द्वारा कलेक्ट्रेट कार्यालय के सभाकक्ष में जनप्रतिनिधियों एवं मीडिया प्रतिनिधियों को नये अपराधिक कानूनों के संबंध में जनजागरूकता कार्यशाला के दौरान जानकारी दी गई। कलेक्टर  हरिस. एस ने कहा कि जनप्रतिनिधियों एवं मीडिया के माध्यम से लोगों तक नये कानूनों के संबंध में जागरूकता होगी।

एसपी किरण गंगाराम चव्हाण ने बताया कि मुख्यतरू पुराने कानून ब्रिटिश काल से चले आ रहे थे। जिसे प्रासंगिक बनाने के लिए एवं निर्धारित समय-सीमा में प्रकरणों का समाधान करने के लिए परिवर्तन किया गया है। इस बदलाव से अपराधियों के खिलाफ एफआईआर करने में दिक्कत नहीं होगी तथा गंभीर अपराधियों को प्रक्रिया का पालन करते हुए कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी। प्रकरणों के निराकरण के लिए समय निर्धारित किया गया है। पीड़ित पक्ष को ध्यान में रखा गया है। शीघ्र निराकरण होने से दोनों पक्षों के लिए राहत है। पीड़ित पक्षकार को ई-साक्ष्य, जीरो-एफआईआर, ई-एफआईआर से राहत मिलेगी। पीड़ित पक्ष को न्याय जल्दी मिलेगा। यह कानून सभी नागरिकों तक पहुंच सकें। इसके लिए लगातार जानकारी दी जा रही है।

पुलिस अधीक्षक ने कहा कि ई-एफआईआर के लिए फोन, ई-मेल, व्हाट्सएप के माध्यम से अपराध घटित होने की सूचना दे सकते है। अब इसके लिए जवाबदेही तय हो जाएगी। प्रार्थी को संबंधित थाने में जाकर हस्ताक्षर कर एफआईआर दर्ज करानी होगी। थाना प्रभारी या विवेचक को जांच की जरूरत लगने पर एसडीओपी या सीएसपी की लिखित अनुमति के बाद जांच होगी। झूठी शिकायत से बचने के लिए तीन दिवस में पुलिस अधिकारी जांच करेंगे तथा गंभीर मुद्दा होने पर एफआईआर दर्ज होगी तथा विधिवत प्रकरण की विवेचना की जाएगी। यह महत्वपूर्ण है कि डिजिटल फॉर्म में शिकायतों को लेने से धीरे-धीरे विश्वसनीयता बढ़ेगी।  प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में समय अवधि निर्धारित की गई है, जो महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि आईपीसी अंतर्गत पहले बच्चियों से संबंधित था, जिसे अब बालक एवं बालिकाओं के लिए किया गया है।  इसके साथ ही 06 छोटे अपराध से जुड़े आरोपियों के सुधार के लिए सामाजिक सेवा का प्रावधान किया गया है।

इस दौरान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा ने बताया कि 1 जुलाई 2024 से भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) के स्थान पर तीन मुख्य कानून भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो गए है।  पूर्व कानून में बदलाव किया गया है तथा अलग-अलग धाराओं में सजा के लिए परिवर्तन किया गया है।  कानूनों में एकरूपता लाने के लिए नया कानून लाया गया है।  उन्होंने बताया कि प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में समय का निर्धारण किया गया है। पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए है। विशेषकर अपराधिक मामलों में तलाशी एवं जप्ती के दौरान फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी अनिवार्य रूप से की जाएगी। इन कानूनों के संबंध में नागरिकों को जानकारी होना चाहिए। नये कानून में आरोपियों के लिए नये प्रावधान किए गए हैं। सभी के लिए आवश्यक है कि स्वयं भी इन कानूनों को समझें तथा दूसरों को भी जागरूक करें। पीड़ित पक्ष को न्याय समय पर मिले। पुलिस समय पर विवेचना करें, इसके लिए समय सीमा निर्धारित की गई है।  उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2024 से कानून लागू होने के बाद कोई भी अपराध होने पर नये कानून के अंतर्गत घटना या अपराध पंजीबद्ध होगा। इसके अंतर्गत अपराधों के लिए न्याय व्यवस्था अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि निर्धारित समय में उनका निराकरण हो सके।  सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए पूरी प्रक्रिया को डिजिटल किया गया है। एफआईआर की प्रक्रिया, एफआईआर के निर्णय सभी डिजिटल फॉर्म में होंगे। सामाजिक-आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से सभी नागरिक अलग-अलग स्थानों में रहते है। ऐसी स्थिति में दस्तावेज डिजिटल होने से फायदा मिलेगा।

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