परमात्मा महावीर स्वामी की बताई हुई अहिंसा की संस्कृति को कौन बचाएगा : मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी

 


रायपुर। संभवनाथ जैन मंदिर विवेकानंद नगर में आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 की  प्रवचनमाला जारी है। आज के विशेष प्रवचन में मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी ने कहा कि आज पूरा विश्व विशेष रूप से भारत में मांसाहार का प्रचार जोर-जोर से चल रहा है। स्कूल जाने की शुरुआत करते बच्चों को भी इस तरह की शिक्षा दी जाती है कि उसके मन में मांसाहार के प्रति घृणा के भाव मर जाते हैं। एनसीईआरटी की गणित की पुस्तक में बच्चों को गणित कुछ इस तरह से सिखाया जाता है जिसमें एक मकड़ी के सामने अलग-अलग चार-पांच छिद्र हैं और हर एक छिद्र  में अलग-अलग जाति के कीड़ों की कुछ निश्चित संख्या है,बच्चों के सामने है प्रश्न रखा जाता है कि यह बताओ कम से कम छिद्र में से गुजर कर मकड़ी ज्यादा से ज्यादा कीड़ों को कैसे खाएगी ?

मुनिश्री ने कहा कि बच्चा 5 से 15 मिनट तक उस गुत्थी को सुलझाने में लग जाता है और तब तक उसके दिमाग में मकड़ी और कीड़े ही घूमते रहते हैं इस तरह का शिक्षण बच्चों के मन पर इस बुरी तरह से असर करता है कि, उसको मांसाहार और शाकाहार मैं भेद भुल जाता है, बड़ी-बड़ी होटल आदि में भी सी फूड आदि के नाम से मिलने वाली चीजों में उसको नॉनवेज की बुद्धि जगती नहीं है। मुनिश्री ने कहा कि शिक्षण की इस अति भयंकर और घिनौनी पद्धति के कारण जब तक मां-बाप जागते हैं और समझते हैं तब तक बालक के मन में रहा हिंदुत्व और जैनत्व  नष्ट हो जाता है। जैन धर्म में जहां कंदमूल आदि भोजन का भी निषेध किया गया है वहां आज जैन और हिंदुओं के बच्चे बिना हिचकीचाहट नॉनवेज का आहार करने लग गए हैं। पाश्चात्य देशों में आज जहां मांसाहार को छोड़ा जा रहा है वहीं विश्व की सबसे प्राचीन और शाकाहारी संस्कृत में वह खानपान अपनाया जा रहा है।

आज कितने ही चीजों को मूल जो मांसाहार से बनती है उसके आगे वेज लगा करके उसे वेजीटेरियन के नाम से लोग बिना हिचकीचाहट  खा रहे हैं। जैसे वेज कबाबज वेज बिरियानी,वेज बार्बेक्यु ,वेज बर्गर, वेज आमलेट। मुनिश्री ने आज सभा में बैठे सभी लोगों को इस तरह की चीजों का सेवन नहीं करने का अभिग्रह दिया और सभा ने भी सहर्ष उसे स्वीकार किया। मुनिश्री ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि औसतन एक आदमी को दिन भर में ढाई सौ ग्राम अनाज पर्याप्त है और एक पशु को जो घास खा कर दूध देता है उसे यदि अनाज खिलाया जाए तो 16 किलो अनाज के सामने एक किलो मांस बढ़ता है अर्थात जिस अनाज से 64 आदमी अपना पेट भर सकते हैं 

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