चुनाव प्रचार में दिख रहा विनेश फोगाट का अलग अंदाज, कितनी मुश्किल है जीत की राह?


नई दिल्ली। हरियाणा के विधानसभा चुनाव में जिस सीट की सबसे ज्यादा चर्चा है, वह है जींद जिले में पड़ने वाली जुलाना सीट। इस सीट की चर्चा इसलिए ज्यादा है क्योंकि यहां से पहलवान विनेश फोगाट कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। विनेश फोगाट के लिए पूरे भारत और विशेषकर हरियाणा में सहानुभूति की जबरदस्त लहर तब दिखाई दी थी, जब वह सिर्फ 100 ग्राम वजन ज्यादा होने की वजह से ओलंपिक का फाइनल नहीं खेल सकी थीं जबकि सेमीफाइनल में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया था।

चुनाव प्रचार के अलावा विनेश फोगाट के लिए जुलाना में चुनावी लड़ाई कितनी मुश्किल है। चुनावी लड़ाई में कितने रणबांकुरे हैं और जुलाना के जातीय समीकरण क्या हैं, इस बारे में भी हम खबर में बात करेंगे। 

जुलाना में है विनेश की ससुराल

चुनाव प्रचार के दौरान विनेश फोगाट का जुलाना में अलग ही अंदाज देखने को मिलता है। यहां याद दिलाना होगा कि विनेश फोगाट मूल रूप से हरियाणा के चरखी दादरी जिले के बलाली गांव की रहने वाली हैं लेकिन उनकी ससुराल जुलाना में है। चुनाव प्रचार के दौरान विनेश जब जुलाना हलके के गांवों में जाती हैं, तो बुजुर्गों (हरियाणा में ताऊ और ताई) से बड़े भावनात्मक अंदाज में मिलती हैं।

चुनाव प्रचार के दौरान विनेश खुद को जुलाना की बहू भी बताती हैं और लोगों को भरोसा दिलाती हैं कि वह उनके साथ हमेशा खड़ी रहेंगी।  

विनेश का जगह-जगह पगड़ी पहनकर स्वागत किया जा रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान विनेश के कार्यक्रमों में काफी लोग भी दिखाई देते हैं। हरियाणा के ताऊ और ताई घरों से बाहर निकाल कर उन्हें आशीर्वाद देने आते हैं और उनके सिर पर प्यार से हाथ रखते हैं। जबकि छोटे बच्चों से लेकर नौजवान तक उनके साथ सेल्फी लेना चाहते हैं।

चुनाव प्रचार को कवर करने पहुंचे पत्रकार जब जुलाना हलके के गांवों में महिलाओं से बात करते हैं तो वे कहती हैं कि वे सब विनेश के साथ हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जुलाना में विनेश फोगाट के लिए चुनावी लड़ाई कितनी मुश्किल है?

कौन-कौन हैं चुनावी रण में?

जुलाना सीट पर बीजेपी ने योगेश बैरागी, आम आदमी पार्टी ने महिला रेसलर कविता दलाल, जेजेपी ने अमरजीत ढांडा और इनेलो-बसपा ने डॉक्टर सुरेंद्र लाठर को उम्मीदवार बनाया है। विनेश फोगाट और कांग्रेस के लिए यहां जो मुश्किल दिखाई देती है वह यह है कि कांग्रेस पिछले 15 साल से यहां पर चुनाव नहीं जीती है। 2019 के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस यहां तीसरे नंबर पर रही थी। पिछले चुनाव में जेजेपी के उम्मीदवार अमरजीत ढांडा ने यहां 24000 से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी।

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