कन्हारपुरी में आयोजित देव दशहरा में शामिल हुए मंत्री रामविचार नेताम और केदार कश्यप

कांकेर। कांकेर विकासखण्ड के ग्राम कन्हारपुरी में स्वर्गीय रामप्रसाद पोटाई की स्मृति में देव दशहरा एवं क्रीड़ा प्रतियोगिता का तीन दिवसीय आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न आदिवासी समाज के देवी-देवताओं की पारम्परिक पूजन पद्धति, सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा क्रीड़ा प्रतियोगिता आयोजित की गई। उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर प्रदेश के आदिम जाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास, कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री रामविचार नेताम उपस्थित रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रदेश के वन एवं जलवायु परिवर्तन, जल संसाधन, संसदीय कार्य, कौशल विकास तथा सहकारिता मंत्री केदार कश्यप उपस्थित थे।

ग्राम कन्हारपुरी के स्कूल परिसर में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन उपस्थित आदिवासी समाज के जनसमूह को संबोधित करते हुए केबिनेट मंत्री नेताम ने कहा कि केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार आदिवासियों के विकास और हितों की रक्षा के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं। किसानों के लिए 3100 रूपए में धान की खरीदी, महिलाओं के लिए महतारी वंदन योजना, तेंदूपत्ता संग्राहक योजना जैसी अनेक अभूतपूर्व योजनाएं हैं जिनसे आदिवासी समाज प्रगति की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि विशेष पिछड़ी जनजाति के शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना एवं अन्य सुविधाएं विकसित करने केन्द्र सरकार पीएम जनमन योजना चला रही है। सभी वर्ग को आगे बढ़ने के समान अवसर मिले, इसके लिए भी सरकार लगातार काम कर ही है। इस दौरान उन्होंने देव दशहरा की परम्परा को आगे भी बढ़ाने के उद्देश्य से 10 लाख रूपए की राशि प्रदाय करने की घोषणा भी की। वन मंत्री कश्यप ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रदेश के मुखिया विष्णुदेव साय चूंकि आदिवासी समाज से हैं, इसलिए वह लोगों की पीड़ा को बेहतर ढंग से समझते हैं। शासन की सभी योजनाएं आमजनता के कल्याण के लिए होती हैं अतः इनका लाभ अवश्य लें। केबिनेट मंत्री कश्यप ने सामाजिक जनों को संबोधित करते हुए आगे कहा कि आदिवासी समाज के पुरोधा जिस संस्कृति को बचाने हेतु लम्बी लड़ाई लड़ी, उस परम्परा को बचाए रखना, संरक्षित करना हम सभी जिम्मेदारी है। इस दौरान कांकेर विधायक आशाराम नेताम ने भी अपने मंचीय उद्बोधन में कहा कि जल, जंगल जमीन के पुजारी और सेवक आदिवासियों को अपनी पारम्परिक पूजा पद्धति, नियम और रीति-नीति की जानकारी रखते हुए सांस्कृतिक विरासतों से सहेजने व जुड़े रहने की जरूरत है। इस दिशा में केन्द्र व राज्य की सरकार सतत् प्रयास कर रही है। इसके अलावा केशकाल विधायक नीलकंठ टेकाम, समाज के वरिष्ठ विकास मरकाम ने भी सम्बोधित करते हुए परम्परागत जड़ों को सहेजने की अपील की।


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